दे दे प्यार दे 2 रिव्यू: धमाकेदार शुरुआत, ढीला पड़ता सफ़र और मज़ेदार एंडिंग—माधवन छाए, रकुल निराश
अजय देवगन इस साल जैसे ‘सीक्वल मोड’ में ही हैं—रेड 2, सन ऑफ सरदार 2 और अब आ गए हैं दे दे प्यार दे 2 लेकर। 2019 की हिट फिल्म को छह साल बाद आगे बढ़ाया गया है, नए चेहरे भी जोड़े गए हैं और कहानी को थोड़ा बड़ा कैनवास देने की कोशिश हुई है। पर सवाल वही—क्या ये कोशिश रंग लाई? जानिए इस दिलचस्प लेकिन टेढ़े-मेढ़े सफर का हाल…
कहानी: प्यार की अगली परीक्षा
पहली फिल्म जहां खत्म हुई थी, वहीं से दूसरी शुरू होती है। आयशा (रकुल प्रीत) अब अपने 52 साल के बॉयफ्रेंड आशीष (अजय देवगन) को अपने परिवार से मिलवाने की तैयारी में है।
आयशा का परिवार—कड़क लेकिन कूल पापा (आर माधवन), सॉफ्ट-स्पोकन मां (गौतमी कपूर), प्रेग्नेंट भाभी (इशिता दत्ता) और एक टेढ़ा-मेढ़ा भाई—सब चंडीगढ़ में रहते हैं।
अब आयशा जब अपने 28–52 के इस ‘एज-गैप लव स्टोरी’ को घरवालों के सामने रखती है, तो आगे क्या तमाशा होता है… यही फिल्म की कसौटी है।

फिल्म कैसी है?
फर्स्ट हाफ – वाह भई वाह!
शुरुआत इतनी मस्त है कि हंसी रुकने का नाम नहीं लेती। टाइट कॉमेडी, सिचुएशनल मज़ा और घरवालों से मिलने वाले गलत–सही रिएक्शन—सब कुछ एंटरटेनिंग।
सेकंड हाफ – अरे ये क्या हो गया?
इंटरवल के बाद जैसे फिल्म की रफ्तार किसी ने स्लो मोशन पर डाल दी हो। इमोशन जबरदस्ती घुसेड़े गए हैं और कहानी का फोकस भटक जाता है। लंबे खिंचे सीन्स आपकी नज़रें मोबाइल की ओर धकेलने लगते हैं।
लेकिन…
लास्ट के 15 मिनट फिर से मज़ा वापस ले आते हैं। एक ट्विस्ट भी है जो आपको चौंका देता है।
कुल मिलाकर—पहला पार्ट दमदार, दूसरा कमजोर।
एक्टिंग: माधवन की क्लास, अजय की चुप्पी, रकुल कमजोर
आर माधवन – फिल्म का दिल
कॉमेडी, गुस्सा, इमोशन—हर दृश्य में माधवन चमके हैं। उनका स्क्रीन प्रेज़ेंस इतना मजबूत है कि वो हर कलाकार पर भारी पड़ते हैं।

अजय देवगन – एक्सप्रेशन मोड ऑन
लीड रोल में अजय दमदार तो दिखते हैं, पर डायलॉग्स कम और एक्सप्रेशन काफी रिपीटेड। हां, क्लाइमैक्स में वो फिर पकड़ में आते हैं।
रकुल प्रीत सिंह – सबसे कमजोर कड़ी
लाइट और मॉडर्न सीन में वो ठीक हैं, लेकिन जहां इमोशन या स्ट्रॉन्ग डायलॉग्स चाहिए… वहां रकुल का परफॉर्मेंस फीका पड़ जाता है। कई सीन ओवर–एक्टिंग की वजह से फनी लगते हैं।
मीज़ान जाफरी – ग्लैमर पैकेज
उनका काम सीधा था—हीरोइन को इंप्रेस करो। बॉडी, गिटार, घुड़सवारी… जो मिला, बखूबी किया। कॉमिक टाइमिंग भी ठीक है।
बाकी कलाकार—जावेद जाफरी, गौतमी कपूर, इशिता दत्ता—ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाते हैं।

निर्देशन एवं तकनीकी पक्ष
अंशुल शर्मा का निर्देशन ठीक है, लेकिन अनुभव की कमी कई जगह झलकती है।
- चंडीगढ़ और लंदन के बीच हवाई यात्रा इतनी तेज दिखाई गई है कि लगता है दोनो शहर पड़ोस में हैं।
- एडिटिंग खासकर सेकंड हाफ में और सख्त हो सकती थी।
- कुछ सीन कॉन्टिन्यूटी और इमोशनल कनेक्शन खो देते हैं।
संगीत
पहली फिल्म के गानों की यादें आज भी ताज़ा हैं, लेकिन इस बार इतने दमदार ट्रैक नहीं मिले।
‘3 शौक’ और ‘झूम बराबर’ ही पार्टी प्लेलिस्ट में जगह बना पाएंगे।
सैड सॉन्ग और पिता–बेटी वाला गीत फ्लैट है।
खूबियां
- धमाकेदार और फनी शुरुआत
- माधवन की शानदार एक्टिंग
- क्लाइमैक्स में सरप्राइज़
- पूरा परिवार देखकर एंजॉय कर सकता है
कमियां
- रकुल की कमजोर एक्टिंग
- सेकंड हाफ का खिंचाव
- खराब एडिटिंग
- कुछ सीन बिना लॉजिक के जल्दबाजी में फिल्माए गए

देखें या न देखें
अगर आप वीकेंड पर हल्की-फुल्की, फैमिली के साथ देखी जाने वाली फिल्म चाहते हैं, तो दे दे प्यार दे 2 एक बार देखने लायक है।
लेकिन अगर आपने पहली दे दे प्यार दे बहुत पसंद की थी, तो ये सीक्वल आपको उससे कमज़ोर लगेगा।
ताज़ा बॉलीवुड, राजनीति, अपराध और सुरक्षा से जुड़ी अपडेट्स के लिए हमारे DM 24 Live वेबसाइट से जुड़े रहें।
वीडियो देखने के लिए DM 24 Live YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें और हमें Facebook, Instagram, Twitter, Koo, ShareChat और Dailyhunt पर फॉलो करें।
